Playful Mind | !! चन्चल मन !!



!! चन्चल मन !!
कल रात एक दोस्त के जन्मदिन के जश्न में मैं कुछ ज्यादा ही बियर पी गया था तो प्यास के कारण आज नींद कुछ जल्दी ही खुल गयी !पानी लेने किचन की तरफ बढ़ते ही अनायास मेरी नज़र उगते हुए सूरज की तरफ गयी ! कितने महीने या सालो बाद मैं इस द्रश्य को देख रहा था !सूरज की कोमल किरणे आखो को ठण्डक दे रही थी ! मन में विचार आया की क्यों मैं कुदरत के इस अतुलनीय अनुभव से वंचित रह जाता हूँ !ऑफिस जाने में अभी 4 घंटे थे , मन में विचार दौड़े की क्यों ना आज रोज़मर्रा की जिंदगी को छोड़ कर नेचर की तरफ कदम बढ़ाये जाये !झूठ बोलना मेरी फितरत तो नहीं थी , पर मैनेजर को बुखार होने की झूठी मेल लिखते समय न जाने क्यों एक पल के लिए भी ग्लानि का भाव नहीं आया !फिर क्या था मुँह ठन्डे पानी से धोया , पुरानी जींस और कुर्ता डाला , बाइक की चाभी उठाई और कैमरे का बैग कन्धे पर डाल निकल पड़ा !कहीं दूर जाना था , शहर से भी दूर और अपनी रोज़ की कृतम ज़िन्दगी से भी ! मैंने अपने ऑफिस जाने वाले रास्ते के उलटी दिशा में बाइक दौड़ा दी !15 -20 मिनट बाद ही मैं शहर के बाहर था ! ठण्डी हवा की सिरहन शरीर को अलग सा ही आनंद दे रही थी ! करीब एक घंटे चलने के बाद एक छोटी से रेलवे क्रासिंग पर मैंने बाइक रोकी ! वैसे मुझे अमरूद कुछ ख़ास पसंद तो नहीं थे, पर उस छोटी बच्ची के उत्साह ने मुझे 10 रुपये के अमरूद खरीदने को मज़बूर कर दिया ! शहर में जाम में खड़े होते ही हमेशा ही मेरा मंन खीज उठता था , पर उस समय उस क्रासिंग पर खड़े हो कर कच्चे अमरुद खाना मुझे बता रहा था की ठहराव में भी एक आनन्द है !हाईवे पर एक छोटा सा मोड़ आया जिस पर सुर्ख लाल रंग से लिखा हुआ था 'श्री राम नगर ' और मैं उधर ही मुड़ गया ! छोटी - छोटी कई पहडियों के बीच में एक झील थी और एक पहाड़ी की चोटी पर एक छोटा सा मंदिर था ! झील का पानी ठण्डा था और नज़ारा अविस्मरणीय !इन सब दृश्यों को में अपने कैमरे मैं कैद करने लगा ! यह सारे दृश्य जो में महसूस कर रहा था या तो कवि 'की कल्पना में होते है या फिर 'गूगल' के टॉप रेटेड 'नेचर वालपेपर्स' में ! उस जगह पर मैंने कई घंटे बिताये और सैकड़ो दृश्य कैमरे में कैद किये ! लौटते हुए सड़क किनारे एक छोटे से ढाबे पर देसी चिकन , ताज़ा कटी सलाद और भात का मज़ा लिया ! इस खाने के एक्सपीरियंस के सामने अमेरिकी फ़ास्ट -फूड और पिज़्ज़ा कुछ भी नहीं थे !सूरज मेरे पीछे ढल रहा था और आज पहली बार शाम को घर लौटते हुऐ मैं ऊर्जा से भरा हुआ था !आज मुझे महसूस हुआ की रेजुवेनट होने के लिए थाईलैंड या गोवा जाना ही ज़रूरी नहीं है !!! "अ डे वेल स्पेंट " इसे कहते हैं !!

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